रामनगर-प्रदेश भर में अतिक्रमण हटाए जाने के नाम पर विभिन्न सरकारी विभाग कानून की धज्जियां उड़ाकर लोगों को उजाड़ने का कर रहे हैं। यह कहना है पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत का। कांग्रेस कार्यालय में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में पूर्व विधायक रणजीत रावत ने आरोप लगाते हुए कहा कि सिंचाई विभाग अतिक्रमण के नाम पर केनाल एक्ट की धारा 70 के तहत 24 घण्टे का नोटिस देकर लोगों के भवनों पर तोड़फोड़ कर रहा है। जबकि इस धारा के तहत विभाग को सीधे तोड़फोड़ करने का कोई अधिकार नहीं है।
इस धारा के तहत केवल नदी, नहर अथवा गूल का पानी अवरोध करने पर ही नोटिस दिया जा सकता है। जिसका निर्णय भी मजिस्ट्रेट स्तर से होगा। विभाग सीधे न्यायालय की भूमिका नहीं निभाएगा। इसी प्रकार धार्मिक आस्था के प्रतीक धार्मिक संरचनाओं के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट व्याख्या है कि ऐसे प्रकरण में आयुक्त की अध्यक्षता में बनी कमेटी जनसुनवाई के बाद संबंधित स्थान के बारे में निर्णय लेगी। इस मामले में प्रदेश सरकार ने भी एक समिति बनाई गई है। जो ऐसे मामलों में निर्णय लेगी। किसी भी प्रकार का निर्माण बिना सक्षम मजिस्ट्रेट के न्यायालय में वाद चलाए बगैर विभाग सीधे खुद जेसीबी ले जाकर विध्वंस नहीं कर सकते।
लेकिन भाजपा शासन में अधिकारी इतने बेलगाम हो गए हैं कि खुद ही वह न्यायालय बनकर मौके पर ही तोड़फोड़ कर जनता में भय का वातावरण बना रहे हैं। यह पूरी कार्यवाही गैर कानूनी है। रणजीत रावत ने कहा कि यदि अधिकारी इस प्रकार की गैर कानूनी कार्यवाही जारी रखेंगे तो उनके खिलाफ कोर्ट में मुकदमें भी दायर किए जा सकते हैं। वन गांवों में अतिक्रमण की कार्यवाही पर रोक लगाने को उन्होंने जनदबाव का नतीजा बताते हुए कहा कि लोकतंत्र में जनता की भावनाओं का सम्मान किए बिना शासन संभव नहीं है।
इसी कारण सरकार को जनता के दबाव में इस कार्यवाही को रोकना पड़ा है। इस दौरान पत्रकार वार्ता में चैयरमैन हाजी मोहम्मद अकरम, नगर अध्यक्ष भुवन शर्मा, अनिल अग्रवाल खुलासा, युवा प्रदेश महासचिव राहुल नेगी, पंकज पाण्डे, मोहम्मद यूसुफ मीडिया प्रभारी विनय पलड़िया आदि मौजूद रहे।