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आखिर क्यों हर साल बढ़ रहे है महिलाओं पर एसिड अटैक के ममलो के आंकड़े….. 

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आखिर क्यों नहीं थम रही महिलाओं पर एसिड अटैक की घटना……

देशभर में हो रही खुलेआम एसिड बिक्री से नहीं थम रहे एसिड अटैक के मामले….

रुद्रपुर- देश में कानून बन जाने के बावजूद भी गाइडलाइन को नज़र  अंदाज़ करते हुए ऐसे खुलेआम बिक्री के कारण मामले नहीं थम रहे हैं पिछले 4 सालों के आंकड़ों पर नज़र डाले तो उनके आकड़े हर साल 200 से अधिक हो रहे हैं 2016 में 283, 2017 में 244 व 218 में 228, 2019 में 249 और 2020 में 220 एसिड अटैक के मामले सामने आ आये लेकिन सच यह है कि इनमें से सिर्फ मात्र 20 फिसदी मामलों में ही आरोपी पर दोष साबित हुए हैं

 

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बाकी मामलों में अपराधी कानून की किसी न किसी कमजोरी का फायदा उठाकर बच निकलते हैं 76 फीसदी मामले में आरोपी पीड़िता की जान पहचान का ही होता है  पिछले सालों का रिकॉर्ड देखे तो 53% मामलों में तेज़ाब फेंकने वाले पर दोष साबित ही नहीं हो सका है जिसके चलते वह बरि हो गए

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पिछले साल को ही ले लो पूरे देश में एसिड अटैक के सबसे ज्यादा मामले पश्चिम बंगाल से सामने आए इसके बाद उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान, हरियाणा का नंबर आता है एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में ऐसे लगभग 60% मामले दर्ज कराए ही नहीं गए हैं दुनिया भर में 80% प्रतिशत एसिड अटैक महिलाओं पर हो रहे हैं

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