नैनीताल – हल्द्वानी में बिना पंजीकरण संचालित मदरसों को जिला प्रशासन द्वारा सील किए जाने के मामले में दायर याचिकाओं पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया है कि इन मदरसों के भवनों में आगे क्या गतिविधियां संचालित होंगी, इसका निर्णय अब राज्य सरकार लेगी।
न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मदरसा संचालकों को निर्देश दिए कि वे शपथपत्र देकर यह आश्वासन दें कि यदि भवनों की सील खोली जाती है, तो उनमें कोई धार्मिक, शिक्षण अथवा नमाज संबंधी गतिविधि नहीं की जाएगी।
याचिकाकर्ताओं की दलील:
मदरसा अब्बू बकर सिद्दकी, मदरसा जीनत उल कुरान, मदरसा दारुल उल इस्लामिया समेत कई मदरसों के प्रबंधन ने याचिका दाखिल कर कहा कि 14 अप्रैल 2025 को जिला प्रशासन द्वारा बिना पूर्व सूचना और नियमों का पालन किए इन शिक्षण संस्थानों को सील कर दिया गया, जबकि वे वर्षों से शिक्षण कार्य में लगे हुए थे।

सरकार की ओर से पक्ष:
सरकार ने जवाब में कहा कि संबंधित मदरसों का कोई पंजीकरण नहीं हुआ था और वे अवैध रूप से संचालित किए जा रहे थे। इनमें धार्मिक शिक्षा, नमाज और अनुष्ठान भी हो रहे थे, जबकि बिना पंजीकरण ऐसे कार्य वर्जित हैं। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि पंजीकृत मदरसों को सील नहीं किया गया है, और उन्हें अनुदान भी नियमित रूप से दिया जा रहा है।
हाईकोर्ट का रुख:
कोर्ट ने प्रशासन के कार्य को उचित ठहराते हुए कहा कि अब यह राज्य सरकार का अधिकार है कि इन भवनों में आगे क्या उपयोग होगा, इस पर निर्णय ले। साथ ही, मदरसा प्रबंधनों को यह स्पष्ट करना होगा कि भविष्य में मदरसे का संचालन या धार्मिक कार्य वहां नहीं होंगे, जब तक कि सरकार द्वारा कोई वैध अनुमति न दी जाए।