रुद्रपुर – मुख्य विकास अधिकारी दिवेश शाशनी की अध्यक्षता में जिला सभागार में पीसीपीएनडीटी अधिनियम (पूर्व गर्भाधान एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम) पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें जिले के 145 पंजीकृत अल्ट्रासाउंड, एमआरआई व सीटी स्कैन सेंटर संचालकों ने भाग लिया।
सीडीओ ने कहा कि अधिनियम का मुख्य उद्देश्य लिंग चयन और कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जन्म से पूर्व शिशु का लिंग बताना कानूनी अपराध है, जिसके लिए तीन से पांच साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। उन्होंने सभी सेंटरों को निर्देश दिए कि—
- अल्ट्रासाउंड मशीनों पर ट्रैकर डिवाइस व सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से लगाएं।
- पीसीपीएनडीटी अधिनियम व मुखबिर योजना की जानकारी सेंटर के बाहर बोर्ड पर प्रदर्शित करें।
- हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की सूचना तत्काल सीएमओ कार्यालय को दें।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. केके अग्रवाल ने संचालकों को प्रत्येक अल्ट्रासाउंड का शत-प्रतिशत पंजीकरण करने और सभी प्रपत्रों को सही तरीके से भरने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अल्ट्रासाउंड की सूचना प्रत्येक माह की 5 तारीख तक सीएमओ कार्यालय में उपलब्ध कराना अनिवार्य है। साथ ही टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत चेस्ट एक्स-रे की रिपोर्ट भी साझा करने को कहा।

कार्यशाला में प्रतिभागियों को फॉर्म-एफ भरने, मशीनों के पंजीकरण-नवीनीकरण, तथा अधिनियम की विस्तृत जानकारियां पीपीटी के माध्यम से दी गईं। साथ ही उत्पीड़न-रहित कार्यस्थल से संबंधित पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।
इस अवसर पर एडीएम कौस्तुभ मिश्र, एसीएमओ डॉ. एसपी सिंह, और जिले के अनेक वरिष्ठ चिकित्सक, सेंटर प्रबंधक व तकनीशियन मौजूद रहे।