उत्तराखण्ड ज़रा हटके हल्द्वानी

हल्द्वानी- पहले दिन सौ से अधिक भवनों पर लगाए निशान, घरों में लाल निशान लगते देख चिंतित दिखे लोग……

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हल्द्वानी- बनभूलपुरा क्षेत्र में अतिक्रमण वाली जमीन पर बने मकानों और परिवारों का डोर टू डोर सर्वे शुरू कर दिया है। रेलवे और विभिन्न सरकारी विभागों की छह टीमें सर्वे के कार्य में लगाई गई हैं। जमीन पर हुए अतिक्रमण का रेलवे की ओर से नक्शा उपलब्ध कराने के बाद प्रशासन ने शुक्रवार से बनभूलपुरा क्षेत्र में अतिक्रमण वाली जमीन पर बने मकानों और परिवारों का डोर टू डोर सर्वे शुरू कर दिया है। रेलवे और विभिन्न सरकारी विभागों की छह टीमें सर्वे के कार्य में लगाई गई हैं। संबंधित टीमें अतिक्रमण वाली जमीन पर बनाए गए मकानों को लाल निशान लगाकर चिह्नित कर रही है।

 

टीमों ने पहले दिन 100 से अधिक भवनों पर निशान लगाए। शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे सिटी मजिस्ट्रेट एपी वाजपेयी, एसडीएम परितोष वर्मा और तहसीलदार सचिन कुमार के नेतृत्व में विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को लेकर गठित की गईं छह टीमें वार्ड नंबर 32 में इंदिरा नगर पश्चिमी पहुंचीं। यहां डोर टू डोर सर्वे का काम शुरू किया गया। सर्वे शुरू होते ही बनभूलपुरा क्षेत्र के लोग भी बड़ी संख्या में टीमों के इर्द-गिर्द नजर आए। टीमों ने अतिक्रमण वाले भवनों में लाल निशान लगाने शुरू किए। अधिकारियों के मुताबिक सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे तक टीमें मकान और परिवार का डाटा जुटाती रहीं। किसी टीम ने 15 तो किसी टीम ने 20 घरों में लाल निशान लगाए। शाम तक 100 से ज्यादा भवनों पर लाल निशान लगाए जा चुके थे।

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इस दौरान सभी छह टीमों ने अतिक्रमण वाली जमीन में बने मकान, उनमें रह रहे परिवार, परिवारों में मौजूद लोगों के नाम और उम्र के साथ साथ मकान के मालिकाना हक संबंधी दस्तावेज, क्रय करने की दशा में विक्रेता का नाम, बिजली-पानी के बिल आदि को लेकर जानकारी जुटाई। अधिकारियों ने बताया कि अभी केवल उस भूमि का सर्वे हो रहा है जिसका रेलवे पूर्व में डिजिटल सर्वे करा चुका है। इस सर्वे के बाद नक्शे के आधार पर अतिक्रमण वाली शेष भूमि का भी सर्वे कराया जाएगा। सर्वे के दौरान नागरिक और रेलवे पुलिस भी मौजूद रही।  रेलवे की जमीन पर हुए अतिक्रमण का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। पिछले दिनों हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रेलवे के अधिकारियों से पूछा था कि उन्हें रेलवे की योजनाओं के विस्तार के लिए तात्कालिक रूप से कितनी जमीन की जरूरत है? कोर्ट ने सरकार और रेलवे को अतिक्रमण वाली जमीन पर रह रहे लोगों के विस्थापन की योजना भी तैयार करने के निर्देश दिए थे।

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सिटी मजिस्ट्रेट एपी वाजपेयी ने बताया कि कोर्ट के निर्देश के बाद रेलवे ने अपनी जरूरत के मुताबिक अतिक्रमण वाली जमीन का डिजिटल सर्वे कराया था। यह सर्वे पूरा होने के बाद रेलवे ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से इस जमीन पर मौजूद भवनों और वहां रह रहे परिवारों की संख्या पता कराने की मांग की थी। उन्होंने बताया कि इस सर्वे से पता चलेगा कि उक्त जमीन पर कितने भवन हैं और कितने परिवार रह रहे हैं। उसके बाद ही कोर्ट के निर्देश के बाद मामले में आगे की कार्यवाही की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को रेलवे की जमीन पर काबिज लोगों के पुनर्वास की योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, शुक्रवार को जब अलग-अलग टीमें अतिक्रमण वाली जमीन पर बने मकानों पर लाल निशान लगा रही थीं तो भवन स्वामी भविष्य को लेकर चिंतित भी नजर आए।

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