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सीबीआरआई रुड़की में जुटे 50 देशों के विशेषज्ञ आपदा प्रबंधन व सतत विकास पर हुई गहन चर्चा….

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रुड़की – सीएसआईआर–सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “एक स्वास्थ्य, एक विश्व 2025” का मुख्य कार्यक्रम सोमवार को होटल क्लार्क्स सफ़ारी, रुड़की–हरिद्वार में धूमधाम से आरंभ हुआ। इस वैश्विक आयोजन में 13 देशों से आए 350 से अधिक प्रतिभागियों और 50 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिसमें आपदा प्रबंधन, सतत विकास, सार्वजनिक स्वास्थ्य और अवसंरचना नवाचार जैसे विषय केंद्र में रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत सीएसआईआर–सीबीआरआई के निदेशक, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुई। आयोजन सचिव डॉ. अजय चौरासिया ने सम्मेलन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह अंतरराष्ट्रीय मंच जलवायु परिवर्तन, आपदा न्यूनीकरण, सतत अवसंरचना तथा वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों पर महत्वपूर्ण विमर्श का अवसर प्रदान कर रहा है।

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सीएसआईआर–सीबीआरआई के निदेशक ने अपने संबोधन में भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति, आपदा–रोधी निर्माण तकनीकों, रेट्रोफिटिंग कार्यों तथा सुरक्षित एवं टिकाऊ भविष्य के लिए आवश्यक वैज्ञानिक पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सभी राष्ट्रीय–अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए सहयोग को और मजबूत बनाने की आवश्यकता बताई।

टोक्यो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और सम्मेलन के सह–अध्यक्ष डॉ. वतारू ताकेउची ने “वन हेल्थ, वन वर्ल्ड” की अवधारणा, वैश्विक अवसंरचना विकास और आपदा-रोधी निर्माण पर अपने अनुभव साझा किए। वहीं, प्रोफेसर सी.वी.आर. मूर्ति ने आपदा अनुसंधान, तकनीकी प्रगति और उससे जुड़े व्यावहारिक पहलुओं पर विस्तृत संबोधन दिया।

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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य डॉ. कृष्ण एस. वात्सा ने रुड़की की ऐतिहासिक जल प्रबंधन प्रणाली, भारत–जापान तकनीकी सहयोग तथा आधुनिक इंजीनियरिंग तकनीकों पर अपने विचार रखे। उन्होंने वैश्विक आपदा प्रबंधन में जापान की अग्रणी भूमिका की सराहना की।

मुख्य अतिथि और वर्ल्ड सीस्मिक सेफ्टी इंस्टीट्यूट के सह–संस्थापक प्रोफेसर किमीरो मेगुरो ने “नकारात्मक प्रभाव को न्यूनतम करने हेतु व्यापक आपदा प्रबंधन प्रणाली” विषय पर महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया। उन्होंने जलवायु संकट, औद्योगिक आपदाओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण आधारित रणनीतियों की अनिवार्यता पर जोर दिया।

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सम्मेलन के दौरान शहरी सुरक्षा, सतत अवसंरचना, हरित पुनर्प्राप्ति, एशिया में सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान, जलवायु परिवर्तन और आपदा न्यूनीकरण जैसे विषयों पर अनेक सत्र आयोजित किए गए। विभिन्न देशों से आए विशेषज्ञों ने अपने शोध और अनुभव साझा किए।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. अजय चौरासिया ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मेलन वैश्विक सहयोग, वैज्ञानिक अनुसंधान और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।