देहरादून – राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों में परोसे जा रहे भोजन की गुणवत्ता की जांच अब अधिकारियों की पहली जिम्मेदारी होगी। महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग ने सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अब निरीक्षण पर गए अधिकारी खुद भोजन चखेंगे और अगर कहीं गुणवत्ता में कमी पाई गई, तो संबंधित कर्मियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
खुद खाकर परखें गुणवत्ता
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की निदेशक रंजना राजगुरु ने राज्य के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों, ब्लॉक स्तर के बाल विकास परियोजना अधिकारियों और सुपरवाइजरों को निर्देशित किया है कि वे आंगनबाड़ी केंद्रों का औचक निरीक्षण करें और वहां परोसे जा रहे भोजन को स्वयं खाकर उसकी गुणवत्ता की जांच करें।
अंतिम चेतावनी: सुधार करें वरना कार्रवाई तय
निदेशक ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अधिकारियों के लिए अंतिम अवसर है। यदि निरीक्षण के दौरान किसी तरह की गड़बड़ी सामने आती है और अधिकारी उसे रिपोर्ट नहीं करते, तो उनके खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

वजन मशीनों पर भी होगी नजर
भोजन की गुणवत्ता के साथ-साथ अब आंगनबाड़ी केंद्रों पर रखी वजन मापने की मशीनों की सटीकता की भी जांच की जाएगी। कुछ स्थानों से वजन मशीनों के सही न दिखाने की शिकायतें मिली थीं, जिससे बच्चों के पोषण स्तर का सही मूल्यांकन नहीं हो पा रहा था। ऐसे में वजन मशीनों की कैलिब्रेशन जांच को भी अनिवार्य कर दिया गया है।
सभी जिलों के लिए सख्त निर्देश
यह आदेश राज्यभर के 13 जिला कार्यक्रम अधिकारी, 105 बाल विकास परियोजना अधिकारी और 595 सुपरवाइजरों पर लागू होगा। सभी को निर्देशित किया गया है कि वे नियमित निरीक्षण करें और भोजन, स्वच्छता व पोषण से जुड़ी गड़बड़ियों को तुरंत सुधारें।
उद्देश्य: बच्चों को मिले पौष्टिक व गुणवत्तापूर्ण आहार
राज्य सरकार की यह पहल कुपोषण की रोकथाम, पोषण स्तर के सटीक आकलन और स्वस्थ भविष्य की नींव रखने के इरादे से की गई है। विभाग का मानना है कि जब अधिकारी खुद खाने की गुणवत्ता जांचेंगे, तो जवाबदेही बढ़ेगी और सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा।