उत्तराखण्ड ज़रा हटके नैनीताल

नौकुचियाताल–सातताल क्षेत्र में दिखा रॉयल बंगाल टाइगर, पहाड़ों में बढ़ती मौजूदगी से दहशत और रोमांच….

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नैनीताल – उत्तराखंड में नैनीताल जिले के पहाड़ी क्षेत्रों में रॉयल बंगाल टाइगर (बाघ) की लगातार बढ़ती मौजूदगी एक बार फिर चर्चा में है। नौकुचियाताल और सातताल क्षेत्र में बाघ दिखाई देने से जहां स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ी है, वहीं वन्यजीव प्रेमियों और विशेषज्ञों में उत्साह भी देखने को मिल रहा है। मंगलवार सुबह सातताल क्षेत्र में बाघ का वीडियो सामने आया, जिसे स्थानीय निवासी संजय कुमार ने रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर साझा किया।

वन विभाग के अनुसार नैनीताल जिले में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और तराई के जंगलों से बाघों का पहाड़ी क्षेत्रों की ओर आना कोई नई बात नहीं है। ये बाघ कई बार अकेले तो कभी शावकों या अन्य बाघों के साथ अपनी स्वाभाविक मदमस्त चाल में पहाड़ों की ओर बढ़ते देखे गए हैं। सातताल में हालिया वीडियो के बाद यह साफ हो गया है कि इस क्षेत्र में कम से कम दो बाघ सक्रिय रूप से मौजूद हैं।

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पूर्व में भी कई बार बाघों की पहाड़ों में मौजूदगी दर्ज की जा चुकी है। फरवरी 2017 में बेतालघाट में एक वयस्क बाघ तार में फंस गया था, जिसे वन विभाग ने रेस्क्यू कर नैनीताल जू में रखा था। दिसंबर 2022 और मई 2023 में भीमताल के चनौतिया गांव में बाघ और तीन बाघों के समूह के वीडियो सामने आए थे, जिसके बाद वहां कैमरा ट्रैप लगाए गए। दिसंबर 2023 में अल्मोड़ा के जागेश्वर और दिसंबर 2024 में भीमताल के सिलौटी क्षेत्र में भी बाघ की गतिविधियां सामने आई थीं, जहां एक महिला पर बाघ के हमले की घटना भी हुई थी।

भवाली रेंज के वन क्षेत्राधिकारी विजय मेलकानी ने बताया कि 15 दिसंबर से ऑल इंडिया टाइगर सेंसस शुरू हो रहा है और सातताल क्षेत्र में मिले बाघ के इस ताजा साक्ष्य को भी गणना में शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस इलाके में पहले से ही दो बाघों की उपस्थिति के प्रमाण मिल चुके हैं।

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वन विभाग ने स्थानीय लोगों से सतर्क रहने और जंगलों की ओर अनावश्यक आवाजाही से बचने की अपील की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बाघों के बढ़ते प्राकृतिक विस्तार का संकेत है, लेकिन इसके साथ मानव–वन्यजीव संघर्ष की चुनौती भी बढ़ रही है।

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