उत्तराखण्ड ज़रा हटके नैनीताल

फुटपाथ और बाजारों से अतिक्रमण हटेगा हाईकोर्ट ने 29 दिसंबर तक मांगी रिपोर्ट….

ख़बर शेयर करें -

नैनीताल – उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी शहर में फड़-ठेलों, ई-रिक्शा और टेंपो की अव्यवस्थित आवाजाही को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। हल्द्वानी के बाजारों, गलियों और फुटपाथों से जुड़े अतिक्रमण के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एसएसपी नैनीताल और नगर आयुक्त हल्द्वानी को निर्देश दिए हैं कि वे रजिस्टर्ड फड़ और ठेला व्यवसायियों के लिए उपयुक्त स्थानों का चयन करें।

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने यह भी आदेश दिया कि ई-रिक्शा और टेंपो की पार्किंग के लिए अलग से भूमि चिन्हित की जाए ताकि शहर में ट्रैफिक व्यवस्था सुचारु हो सके और दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। न्यायालय ने इन सभी बिंदुओं पर 29 दिसंबर तक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई भी 29 दिसंबर को होगी।

यह भी पढ़ें 👉  रैकेट थामे सीएम धामी, बैडमिंटन कोर्ट से दिया फिट और फोकस्ड रहने का संदेश….

मामले के अनुसार, हल्द्वानी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व पार्षद हितेश पांडे ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि शहर के प्रमुख बाजारों, फुटपाथों और सार्वजनिक स्थानों पर बिना रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस के फड़-ठेले लगाए जा रहे हैं, जिससे पैदल चलने वालों के लिए भी जगह नहीं बची है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि बाजारों में ई-रिक्शा और टेंपो का प्रवेश बढ़ने से यातायात बाधित हो रहा है और कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।

याचिका में यह गंभीर आरोप भी लगाया गया कि कुछ दुकानदार अपनी दुकानों के सामने की जगह बिना लाइसेंस ठेला लगाने वालों को रोजाना 100–150 रुपये किराए पर दे रहे हैं, जिसका नगर निगम के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। इससे न केवल अतिक्रमण बढ़ रहा है, बल्कि शहर में अपराध की आशंका भी बढ़ रही है।

यह भी पढ़ें 👉  जेपी नड्डा के बाद संगठन में नई ऊर्जा नितिन नवीन बने बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष….

जनहित याचिका में मांग की गई है कि अवैध फड़-ठेलों को हटाया जाए, पंजीकृत ठेला व्यवसायियों के लिए व्यवस्थित स्थान तय किए जाएं, ई-रिक्शा व टेंपो के लिए पार्किंग व्यवस्था बनाई जाए और सड़कों पर अवैध रूप से खड़े वाहनों पर सख्त कार्रवाई की जाए। हाईकोर्ट के इस सख्त रुख से हल्द्वानी में अतिक्रमण, ट्रैफिक जाम और अव्यवस्था पर लगाम लगने की उम्मीद जगी है। अब सबकी नजरें प्रशासन द्वारा 29 दिसंबर तक पेश की जाने वाली रिपोर्ट और आगामी सुनवाई पर टिकी हैं।

यह भी पढ़ें 👉  सड़क, बिजली, पानी से लेकर पेंशन तक शिविरों में मिली हर समस्या की सुनवाई….