उत्तराखण्ड ज़रा हटके नैनीताल

बमटाना गांव में पेयजल संकट गहराया, ग्रामीण एक किमी दूर से ढो रहे पानी….

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उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में हर साल गर्मियों के आते ही जल संकट गहराने लगता है, लेकिन इस बार नैनीताल जिले के बेतालघाट ब्लॉक के एक छोटे से गांव बमटाना में हालात कुछ ज्यादा ही बदतर हो गए हैं। ग्राम पंचायत जोग्याड़ी के अंतर्गत आने वाला यह गांव बीते दो महीनों से पीने के पानी की एक-एक बूंद को तरस रहा है।

नल सूखे, उम्मीदें भी सूखने लगीं
जल जीवन मिशन योजना के तहत गांव में वर्षों पहले नलों के माध्यम से पानी की आपूर्ति शुरू हुई थी। ग्रामीणों के अनुसार, यह योजना पहले कुछ समय तक तो सुचारू रूप से चली, लेकिन पिछले दो महीनों से नलों में पानी आना पूरी तरह से बंद हो गया है। इस कारण न सिर्फ पीने का पानी मिलना बंद हो गया, बल्कि भोजन पकाने, साफ-सफाई, पशुपालन जैसे रोजमर्रा के कार्य भी बाधित हो रहे हैं।

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पानी के लिए पहाड़ पर चढ़ाई, ग्रामीणों की मजबूरी
गांव के निवासी मुकेश कुमार बताते हैं कि बमटाना के पांच परिवार अब एक किलोमीटर दूर स्थित जलस्रोत से पानी लाने को मजबूर हैं। यह रास्ता काफी खड़ी चढ़ाई वाला है, जिससे पानी ढोना बेहद कठिन हो जाता है। महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे इस स्थिति में सबसे अधिक परेशान हैं। कई बार तो ग्रामीणों को रात के अंधेरे में भी पानी भरने जाना पड़ता है, क्योंकि दिन में गर्मी के कारण यह काम और भी मुश्किल हो जाता है।

पशु-पक्षियों के लिए भी संकट
सिर्फ इंसान ही नहीं, गांव में मौजूद मवेशियों और अन्य जानवरों के लिए भी पानी की भारी कमी हो गई है। गर्मी में जब जलस्रोत प्राकृतिक रूप से सूखने लगते हैं, तब ऐसी योजनाओं से ही लोगों को राहत मिलने की उम्मीद रहती है, लेकिन जब ये योजनाएं भी दम तोड़ दें, तो ग्रामीणों की तकलीफें कई गुना बढ़ जाती हैं।

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प्रशासन ने दिया भरोसा, मगर कब तक?
ग्रामीणों की शिकायत पर जल संस्थान के जेई गिरीश खंडूरी ने बताया कि शिप्रा नदी से बमटाना को जोड़ने वाली पाइपलाइन में खराबी आई है, जिसकी मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सोमवार तक गांव में जलापूर्ति दोबारा शुरू कर दी जाएगी। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि वे पहले भी कई बार ऐसे आश्वासन सुन चुके हैं, लेकिन अब तक उन्हें ठोस राहत नहीं मिली है।

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स्थायी समाधान की मांग
स्थानीय लोगों की मांग है कि सरकार और प्रशासन इस समस्या का केवल तात्कालिक नहीं, बल्कि स्थायी समाधान निकाले। वर्षा जल संचयन, वैकल्पिक जल स्रोतों का निर्माण, और जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं की नियमित निगरानी जरूरी है। साथ ही, ग्रामीणों ने यह भी आग्रह किया है कि ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों को ‘जल संकटग्रस्त क्षेत्र’ घोषित कर विशेष सहायता दी जाए।