देहरादून  – “कैंसर अब लाइलाज नहीं, बल्कि जागरूकता और समय पर जांच से पूर्णतः नियंत्रित किया जा सकता है।”
यह बात अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से आयोजित कैंसर जागरूकता कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कही। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं और छात्राओं ने भाग लेकर स्तन और सर्वाइकल कैंसर से बचाव के उपाय सीखे और स्क्रीनिंग करवाई।
मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि मातृशक्ति को अपने स्वास्थ्य के प्रति सबसे अधिक सजग रहना चाहिए। “स्वस्थ नारी ही मजबूत परिवार, समाज और राष्ट्र की नींव है।” उन्होंने कहा कि महिलाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी आज एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।
रेखा आर्य ने कहा कि स्तन कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचने का सबसे प्रभावी उपाय समय पर जांच और सतर्कता है। उन्होंने छात्राओं से आह्वान किया कि वे महिला स्वास्थ्य के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने का संकल्प लें। कार्यक्रम में राजकीय दून मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. गीता जैन, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना और कई नामी स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल रहे।

वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. गीता जैन ने बताया कि भारत में महिलाओं में स्तन कैंसर पहले और सर्वाइकल कैंसर दूसरे स्थान पर सबसे अधिक पाया जाता है। उन्होंने कहा कि हर आठ मिनट में एक महिला सर्वाइकल कैंसर के कारण अपनी जान गंवा रही है, जबकि यह बीमारी सही साफ-सफाई और समय पर जांच से पूरी तरह रोकी जा सकती है।
मैक्स अस्पताल की डॉ. रुनू शर्मा ने बताया कि शहरीकरण और जीवनशैली में बदलाव के कारण अब यह बीमारी ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अधिकांश महिलाएं तीसरे या चौथे स्टेज में जाकर जांच करवाती हैं, जिससे इलाज कठिन हो जाता है।
एम्स ऋषिकेश की डॉ. राजलक्ष्मी मुंथड़ा ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण एचपीवी वायरस है, जिससे बचाव के लिए 9 से 15 वर्ष की लड़कियों को सर्वारिक्स वैक्सीन की दो डोज और 15 से 26 वर्ष तक की महिलाओं को तीन डोज लगाई जानी चाहिए।
कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन की डॉ. सुमिता प्रभाकर ने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआती पहचान के लिए तीन प्रमुख जांचें जरूरी हैं — सेल्फ एग्जामिनेशन, क्लीनिकल एग्जामिनेशन और मेमोग्राफी। उन्होंने बताया कि देर से शादी, बच्चों को फीडिंग न करवाना और जीवनशैली में असंतुलन इसके मुख्य कारण हैं।
कोरोनेशन अस्पताल की डॉ. तुलसी बिष्ट ने कहा कि “स्वस्थ महिला से ही स्वस्थ परिवार और समाज का निर्माण होता है।” उन्होंने कहा कि महिलाओं को किसी भी असहजता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
वरिष्ठ सर्जन डॉ. मोनिका ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाओं में अब भी स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की भारी कमी है। उन्होंने छात्राओं से कहा कि वे अपने परिवार और आसपास की महिलाओं को कैंसर की शुरुआती पहचान और टीकाकरण के महत्व के बारे में जरूर बताएं।
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं, छात्राओं और शिक्षकों ने भाग लिया और विशेषज्ञों से सवाल पूछकर अपनी जिज्ञासाएं दूर कीं।
अमर उजाला फाउंडेशन के इस प्रयास की सभी ने सराहना की और कहा कि इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम ही समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने में सक्षम हैं।

