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किताबों और फीस के खेल में फंसे 25 निजी स्कूल, सीईओ बोले- होगी सख्त कार्रवाई….

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शिक्षा को व्यवसाय बनाने की प्रवृत्ति पर अब शिक्षा विभाग ने सख्त रुख अपनाया है। नैनीताल जनपद के भीमताल, हल्द्वानी और रामनगर क्षेत्र के कुल 25 निजी विद्यालयों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। इन स्कूलों पर नियमों के विरुद्ध महंगी किताबें मंगवाने, एक ही दुकान से किताबें खरीदने का दबाव बनाने और हर साल प्रवेश शुल्क वसूलने जैसे गंभीर आरोप हैं। विभागीय जांच में इन सभी आरोपों की पुष्टि हुई है।

शिक्षा विभाग द्वारा गठित क्षेत्रवार जांच टीमों ने अपनी रिपोर्ट मुख्य शिक्षाधिकारी को सौंप दी है। रिपोर्ट के अनुसार, संबंधित विद्यालयों ने शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित निर्देशों की अवहेलना की है। इनमें सबसे प्रमुख है एनसीईआरटी की पुस्तकों के अलावा महंगी निजी प्रकाशकों की किताबें थोपना और एक विशेष पुस्तक विक्रेता के माध्यम से ही किताबें उपलब्ध कराने का दबाव बनाना। यह भी पाया गया कि विद्यालय हर साल नए सिरे से प्रवेश शुल्क वसूल रहे हैं, जो कि शिक्षा अधिकार कानून एवं न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है।

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अभिभावकों ने की थी शिकायत

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब कुछ जागरूक अभिभावकों ने जिला शिक्षा विभाग से शिकायत की। उन्होंने बताया कि विद्यालय प्रबंधन बच्चों के लिए केवल एक निश्चित दुकान से ही किताबें लेने का निर्देश दे रहे हैं, और अगर कोई अन्यत्र से खरीदता है तो उसे पुस्तक सूची या प्रवेश में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। साथ ही, प्रवेश के नाम पर हर वर्ष अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है, जो एक प्रकार से अनधिकृत आर्थिक शोषण है।

विभाग ने बनाई जांच टीमें

इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए मुख्य शिक्षाधिकारी द्वारा हर क्षेत्र में अलग-अलग टीमें गठित की गईं। हर टीम की अध्यक्षता संबंधित क्षेत्र के सरकारी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य को सौंपी गई। जांच में पाया गया कि विद्यालयों ने न केवल पुस्तकें थोपने बल्कि फीस वसूली के नियमों का भी खुलेआम उल्लंघन किया है।

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टीमों ने जांच के दौरान विद्यालय प्रबंधन, छात्रों और अभिभावकों से बातचीत कर आवश्यक दस्तावेजों की जांच की और रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा कि इन स्कूलों की गतिविधियां शिक्षा विभाग की नीति और सरकार के आदेशों के अनुरूप नहीं हैं।

अब होगी सख्त कार्रवाई

मुख्य शिक्षाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि सभी 25 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किए जा रहे हैं। यदि स्कूलों द्वारा दिए गए जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी, जिसमें स्कूल की मान्यता रद्द करना और आर्थिक दंड लगाना भी शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और न्याय बनाए रखना विभाग की प्राथमिकता है और जो संस्थान छात्रों और अभिभावकों का शोषण करेंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।

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स्कूलों में मचा हड़कंप

इस कार्यवाही की जानकारी जैसे ही सार्वजनिक हुई, संबंधित स्कूलों में हड़कंप मच गया है। कई स्कूल प्रबंधक विभाग से संपर्क कर सफाई देने में जुटे हैं, तो कुछ स्कूल अब अपनी व्यवस्था में बदलाव कर रहे हैं। हालांकि शिक्षा विभाग की मंशा स्पष्ट है – बच्चों और अभिभावकों के हितों की रक्षा सर्वोपरि है।