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सीएम धामी बोले अगले 25 सालों की रणनीति तय करने में प्रवासी अधिवक्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण….

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नई दिल्ली – नई दिल्ली स्थित उत्तराखंड निवास में राज्य की रजत जयंती वर्ष के अवसर पर आयोजित विशेष संवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रवासी उत्तराखंडी अधिवक्ताओं के साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने राज्य के विकास, कानून व्यवस्था, सुशासन और अगले 25 वर्षों की रणनीतिक दिशा पर अपनी दृष्टि साझा की।

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए कई ऐतिहासिक और कठोर कानून लागू किए हैं। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने समान नागरिक संहिता (UCC) लागू की। भर्ती प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाने और नकल माफियाओं पर असरदार रोक लगाने के लिए देश का सबसे कठोर नकल विरोधी कानून लागू किया गया, जिसके परिणामस्वरूप अब तक 26,500 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी मिली और 100 से अधिक नकल माफिया जेल भेजे गए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सांस्कृतिक मूल्यों और जनसांख्यिकीय संतुलन की रक्षा के लिए राज्य में धर्मांतरण विरोधी और दंगा विरोधी कानून लागू किए गए हैं। “ऑपरेशन कालनेमी” के अंतर्गत अवैध कब्जों, लैंड जिहाद और गैरकानूनी गतिविधियों पर व्यापक कार्रवाई की गई है। इसके तहत 10,000 एकड़ से अधिक सरकारी भूमि मुक्त कराई गई, 300 अवैध मदरसे हटाए गए और 1,000 से अधिक अवैध संरचनाएं ध्वस्त की गईं। नए प्रावधान के अनुसार मदरसा बोर्ड समाप्त किया गया है और जिन मदरसों में सरकारी पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाया जाएगा, उन्हें बंद किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन का भी उल्लेख किया, जिसे प्रशासनिक समन्वय, तकनीकी दक्षता और मानवीय संवेदनशीलता का बेहतरीन उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने बीते वर्षों में औद्योगिक और आर्थिक क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। जी20 बैठकों की सफल मेजबानी और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 3.56 लाख करोड़ रुपये के एमओयू हस्ताक्षरित हुए, जिनमें से डेढ़ वर्ष के भीतर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की योजनाएँ धरातल पर लागू हो चुकी हैं।

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मुख्यमंत्री ने बताया कि नीति आयोग की 2023-24 की रिपोर्ट में उत्तराखंड 79 अंकों के साथ देश के शीर्ष प्रदर्शन वाले राज्यों में शामिल है। बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान 2024 में राज्य को पांच प्रमुख श्रेणियों में ‘टॉप अचीवर्स’ में स्थान मिला है, जबकि हिमालयी राज्यों में वित्तीय प्रदर्शन में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है।

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उन्होंने पर्यटन क्षेत्र की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि आपदाओं के बावजूद इस वर्ष लगभग 51 लाख श्रद्धालुओं ने चारधाम यात्रा सम्पन्न की। राज्य में “शीतकालीन यात्रा” की अवधारणा को प्रारंभ किया गया है, जिससे तीर्थ यात्रियों के साथ-साथ सामान्य पर्यटक भी वर्षभर विभिन्न स्थलों का आनंद ले सकेंगे। रेल परियोजनाएँ, रोपवे और हेलीपोर्ट विकास जैसी योजनाएँ उत्तराखंड में आधुनिक परिवहन नेटवर्क की नींव मजबूत कर रही हैं।

पर्यावरणीय संतुलन और तकनीकी विकास के संयोजन को ध्यान में रखते हुए सरकार ‘इकोलॉजी, इकोनॉमी और टेक्नोलॉजी’ की नीति पर काम कर रही है। खेल क्षेत्र में भी राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति की है। 38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड ने 103 पदक जीते और सातवाँ स्थान प्राप्त किया। युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण, उपकरण और प्रोत्साहन राशि देकर तैयार किया जा रहा है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की 25 वर्ष की विकास यात्रा सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी है और अब आने वाले 25 वर्ष के लिए नई दिशा तय करने का समय है। उन्होंने उपस्थित अधिवक्ताओं से आग्रह किया कि वे अपने अनुभव, सुझाव और विशेषज्ञता साझा करें ताकि उत्तराखंड को न्याय, विकास और सुशासन के मॉडल राज्य के रूप में विकसित किया जा सके।

कार्यक्रम में प्रो. गोविंद सिंह, दीप्ति रावत भारद्वाज, जतीन्द्र कुमार सेठी, विक्रम सिंह पंवार, नीरज गुप्ता, कुलदीप सिंह परिहार, राहुल वर्मा, सुनीता वर्मा, रोहित डंडरियाल, जर्नादन त्रिपाठी, अदिति रावत, वरुण बडोला सहित अनेक अधिवक्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन विजय जोशी ने किया।