देहरादून – उत्तराखंड में वेलनेस टूरिज्म को नई दिशा देने की तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश में पहली बार नेचुरोपैथी अस्पताल (प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र) रिजॉर्ट की तर्ज पर बनाए जाएंगे, जहां बिना दवाइयों के प्राकृतिक तरीके से उपचार की सुविधा उपलब्ध होगी।
आयुष विभाग ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए चंपावत और पिथौरागढ़ जिलों में जमीन चिह्नित कर ली है, जबकि बागेश्वर जिले में भूमि चयन की प्रक्रिया जारी है। प्रस्ताव तैयार कर विभाग केंद्र सरकार को भेजने की तैयारी में है।
इन अस्पतालों में जड़ी-बूटियों, योग, आहार, व्यायाम, जल चिकित्सा, सूर्य चिकित्सा, एक्यूपंक्चर व एक्यूप्रेशर जैसी पारंपरिक विधाओं के माध्यम से उपचार किया जाएगा। इसका उद्देश्य केवल रोगों के लक्षणों का नहीं, बल्कि उनके मूल कारण का इलाज करना होगा।

पहले चरण में तीन जिलों में ये अस्पताल स्थापित किए जाएंगे। यहां उपचार के साथ-साथ ठहरने की रिजॉर्ट जैसी सुविधाएं भी दी जाएंगी, जिससे प्रदेश में वेलनेस टूरिज्म को विशेष बढ़ावा मिलेगा।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, केंद्र सरकार ने बीते वर्ष शुरू की गई आयुष ग्राम योजना को बंद कर दिया है। अब उसकी जगह नेचुरोपैथी अस्पतालों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
इन अस्पतालों के माध्यम से उत्तराखंड न केवल प्राकृतिक चिकित्सा का हब बनेगा, बल्कि यह पहल पर्वतीय क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को भी नया बल देगी।

