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उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में बुरांस का फूल बना आय का नया स्रोत….  

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उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में वसंत के आगमन के साथ ही जब पहाड़ों की ढलानों पर लाल रंग के बुरांस के फूल खिलते हैं, तो नज़ारा किसी स्वर्ग से कम नहीं होता। लेकिन अब यह सुंदरता सिर्फ देखने तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने ग्रामीण जीवन की दिशा बदलने का कार्य भी शुरू कर दिया है। हिमालयी क्षेत्र में पाया जाने वाला यह पारंपरिक फूल अब स्थानीय लोगों, विशेष रूप से महिलाओं के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बनता जा रहा है।

पारंपरिक फूल, आधुनिक संभावना
बुरांस (Rhododendron arboreum) का फूल वर्षों से स्थानीय संस्कृति का हिस्सा रहा है। पारंपरिक रूप से इसे धार्मिक अनुष्ठानों, औषधीय उपचारों और घरेलू उपयोग में लिया जाता रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में इसके औद्योगिक और व्यावसायिक उपयोगों को पहचान मिलने लगी है। राज्य सरकार, गैर-सरकारी संगठनों और स्थानीय उद्यमों ने मिलकर इस पुष्प को स्थानीय आजीविका से जोड़ने का एक प्रभावशाली मॉडल विकसित किया है।

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स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरपूर
बुरांस के फूल में एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी और हृदय-रोग रोधी गुण पाए जाते हैं। इससे तैयार जूस, चाय, सिरप, जैम और जैली न केवल स्वाद में बेहतरीन होते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माने जाते हैं। खास बात यह है कि इन उत्पादों की मांग अब राज्य की सीमाओं से बाहर तक फैलने लगी है।

महिलाओं को मिला आत्मनिर्भरता का मार्ग
इस पहल से सबसे अधिक लाभ उत्तराखंड की ग्रामीण और पहाड़ी महिलाओं को हुआ है। स्वयं सहायता समूहों और महिला मंडलों ने बुरांस के फूलों के संग्रहण से लेकर उनके प्रसंस्करण और बिक्री तक की जिम्मेदारी संभाली है। इससे उन्हें नियमित आय का स्रोत मिला है और वे आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं। कई महिलाएं अब अपने छोटे-छोटे उद्यम चला रही हैं और अपने परिवार की आय में योगदान दे रही हैं।

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स्थानीय युवाओं के लिए भी अवसर
बुरांस आधारित उद्योगों से सिर्फ महिलाएं ही नहीं, बल्कि स्थानीय युवा भी लाभान्वित हो रहे हैं। कई युवाओं ने फूलों की खरीद-फरोख्त, पैकेजिंग, ऑनलाइन मार्केटिंग और वितरण जैसे कार्यों में अपनी भूमिका सुनिश्चित की है। इससे पलायन की समस्या को कुछ हद तक नियंत्रित करने में मदद मिली है।

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सरकारी और गैर-सरकारी सहयोग
राज्य सरकार ने बुरांस के व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। स्थानीय संस्थानों द्वारा प्रशिक्षण, आवश्यक उपकरण और विपणन सहायता दी जा रही है। इसके अतिरिक्त, कुछ गैर-सरकारी संगठन महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें बाजार से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं।

हरित अर्थव्यवस्था की ओर एक कदम
बुरांस की यह पहल एक “हरित अर्थव्यवस्था” का उदाहरण भी प्रस्तुत करती है, जहां प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग कर लोगों को आजीविका दी जा रही है, पर्यावरण को बिना क्षति पहुंचाए। यह मॉडल अन्य हिमालयी राज्यों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।